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असली सोना (कहानी)

कहानी

असली सोना 

ये कहानी उस भोजन पर आधारित है जिसे झूठा करके कूड़े मै फैक देते है और उसी भोजन के अपमान का बदला प्रकीर्ति कैसे लेती है और किस रूप मै सजा देती है ये ही इसका सार है 

    कहानी इस प्रकार है 

एक पार्टी चल रही है और एक लड़की खाना झूठा करके पास पड़े कूड़े के डब्बे मै फेक देती है तभी एक छोटी बच्ची उस लड़की को समझाती है लड़की इस बात का बुरा मानकर उस बच्ची के कान पकड़ कर धमका देती है ये सारी हरकत पार्टी मै आया हुआ किसान का बेटा देख लेता है और उस लड़की को सबक सिखाने के लिए चुपचाप उसका किडनेप करके गाओं मै ले आता है लेकिन जैसे ही लड़की के पैर गाँव की जमीन पर पड़ते है तभी जोर से तूफान और बारिश के साथ बर्फ के टुकड़े गिरने से सारी फसल चौपट हो जाती है हर तरफ जहाँ पहले हरियाली की महक छाई हुई थी वही अब बर्बादी और तबाही का आलम था गाँव के मंदिर के पुजारी अपने ध्यान से देखते है तो समझ जाते है की इस हादसे की वजह वो लड़की है जो गाँव की नहीं है लेकिन गाँव मै आते ही इस घटना से बेहोश हो गई है लड़का उसे बेहोशी की हालत मै उठा कर अपनी हवेली पंहुचा कर पुजारी काका से मिलता है सारी बात सुनकर पुजारी काका लड़के को आशीर्वाद देते है की जाओ अपना मिशन पूरा करो तुम्हे सफलता जरूर मिलेगी लड़का वापस आता है इतने मै लड़की को होश आ जाता है वो भोजन के लिए तड़प रही है अब लड़का उसे अपनी भाषा मै समझाते हुए उसी के ज़ेवर देते हुए कहता है तुम्हें तो इन जेवरों पर बड़ा नाज है क्योकि ये सोने के है लो इन्हे खाओ और अपनी भूख मिटाओ क्योकि गाँव की फसल का जो सोना था सब तबाह हो गया है कुछ भी नहीं बचा

लड़की इस बात पर मायूस होकर कहती है ये ज़ेवर जो सोने के बने है इन्हे कैसे खाऊ ये खाने के लिए नहीं है इस बात पर लड़का व्यंग मारता है 

     वाह क्या बात है जिस सोने को 30 हजार मै 10 ग्राम खरीद कर इतना इतराते हो अगर उसकी इतनी औकात नहीं की वो ऐसे वक़्त पर पेट की आग बुझा सके तो लानत है ऐसे सोने पर किस काम का है वो सोना इससे तो अच्छा हमारा ये सोना है जो सबका पेट भरता है सबको नई ताकत नया झोश और नई उमंग पैदा करता है लेकिन अफ़सोस तुम्हारे जैसे शहरों मै रहने वाले घमंडी लोग इस सोने की कीमत क्या जाने इसकी कीमत तो किसान से पूछो जिसने इसके लिए पसीना बहाया है और ये सिर्फ भोजन नहीं है माता अन्नपूर्णा का वरदान है उसका प्यार है उसका आशीर्वाद है कहते कहते लड़की के चेहरे की तरफ देखता है लड़की भूख से व्याकुल हो जाती है लड़का ये देख कर कहीं से चार आलू ले आता है और वो पका कर लड़की को देता है तभी दोनों के कानों मै एक मासूम बच्चे के रोने की आवाज़ आती है जिसे चुप कराने के लिए उसकी माँ भी तङप कर कहती है बेटा मै बेबस हूं कुछ भी नहीं बचा अब तेरे खाने को कहाँ से लाऊ तभी लड़की अपनी भूख भूल कर उस तरफ दौड़ती है जहाँ से ये आवाज़ आ रही थी वहाँ पहुंच कर लड़की अप अपने हाथों से वो आलू उस बच्चे को खिला कर सीधी खैतों मै भागती है और अपनी गलती की माफ़ी मांगते हुए भगवान से प्रार्थना करती है 

 

उसे माफ़ी कैसे मिलती है और क्या करना पड़ता है बस ये कहानी है इससे ये सबक भी मिलता है की असली सोना वो नहीं जो गले और हाथ मै पहन कर घूमते हो बल्कि असली सोना ये भोजन है जिसमे माता अन्नपूर्णा का वास है।