दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुनामी
विशेष संवाददाता/दिल्ली क्राइम प्रैस :सनद रहे कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के वोट 5 फरवरी को पड़े थे, जिसमें मौजूदा 'आम आदमी पार्टी', 'भारतीय जनता पार्टी', 'कांग्रेस पार्टी' व ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी ने ये चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
जहां आम आदमी पार्टी अपनी साख बचाने रखने का प्रयासरत थी तो भाजपा अपनी वापसी के लिए कमर कस कर तैयार थी। शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल के बाद से दिल्ली में अपने अस्तित्व को तलाशती कांग्रेस भी जी-तोड़ कोशिशों में लगी थी। हैदराबाद से बाहर और देश की राजधानी दिल्ली में अपनी जड़ें जमाने की ताक में AIMIM भी लाइन में खड़ी थी।
लोकतंत्र में जनता का फैसला निर्णायक सिद्ध होता है और 8 फरवरी को वोटों की गिनती ने सिद्ध कर दिया कि जनता ही बेड़ा पार कर सकती है और जनता ही बेड़ा गर्क भी कर सकती है।
दिल्ली में अब तक हुए 7 विधानसभा चुनावों में से इस सीट पर 1 बार भारतीय जनता पार्टी, 3 बार कांग्रेस और 3 बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। 7 में से 6 चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवार दिल्ली के सीएम भी बने हैं। साल 1993 के पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जीता और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। हालांकि 1998, 2003 और 2008 के चुनावों में कांग्रेस जीती और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनी। 2013 में अन्ना आंदोलन के बाद हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को हराकर दिल्ली की सीट पर कब्जा किया और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए।
पिछले 3 चुनाव से आम आदमी पार्टी को लगातार जीत मिल रही थी परंतु इस बार के चुनावों में जनता ने उनको पूरी तरह नकार दिया और जीत का सेहरा भारतीय जनता पार्टी के सिर पर सजा दिया। शीशमहल, शराब घोटाला, जल बोर्ड घोटाला आदि तथा विरोधी पार्टियों पर बिना पुख्ता प्रमाण के लगाए गये आरोपों के कारण इस पार्टी की साख गिरी और पार्टी के शीर्ष नेता तक अपनी सीट तक नहीं बचा पाए। भारतीय जनता पार्टी की सुनामी में केवल आम आदमी पार्टी ही नहीं उड़ीं बल्कि कांग्रेस और AIMIM को भी पूरी तरह ढ़हा दिया।