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साइबर अपराध समाज व देश हित के लिए बेहद चिंताजनक : चंदन सिंह

*साइबर अपराध समाज व देश हित के लिए बेहद चिंताजनक : चंदन सिंह

 

 

आजकल हमारा दैनिक जीवन प्रौद्योगिक तकनीक व इंटरनेट पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है। हम सभी इंटरनेट के आदी होते जा रहे हैं और हो भी क्यों नहीं, क्योंकि सहोलीयत के साथ साथ समय कि पूरी बचत है। ऐसे में लोग इंटरनेट का उपयोग करने वाली जनसंख्या का प्रतिशत दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा एक तरह से इंटरनेट पर निर्भर होती जा रही है। ऐसे में अपराधी और आतंकी के द्वारा भी नई प्रौद्योगिक तकनीक व इंटरनेट को अपनाने से विश्व भर में असामान्य खतरे लेकर आई हैं और साइबर-अपराध एक ऐसी अवधारणा है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें हैकिंग, स्पैमिंग आदि जैसे हमलों के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। अभी पिछले हफ्ते हरियाणा के नूंह में घटित घटना से आप सभी वाकिफ ही होंगे जिसमें साइबर अपराधियों का योगदान सर्वोच्च था। सोशल मीडिया पर समाज विरोधी संदेश वाईरल कर हिंसा को अंजाम दिया और फिर साइबर थाने में हमला कर सभी सबूतों को भी नष्ट कर दिया।

देखा जाए तो दुनिया भर में साइबर अपराधों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है जो समाज व देश के लिए खतरा ही नहीं बल्कि बेहद चिंता करने बाली मसला है। साइबर-अपराधियों से बचाव और सुरक्षा के लिए हमें बहुत सारे कानूनों की आवश्यकता है क्योंकि व्यवसायों और संचार के लिए जिन उपकरणों का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं उनमें कमज़ोरियां ढूंढ कर अपराधी उसका फायदा उठा कर अपराध को अंजाम देते है। तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही साइबर अपराध के मामलों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि एक साल में ही इसके आंकड़े कुछ हजार से बढ़कर दस लाख से भी ज्यादा हो गये है। वैसे देश भर में इस मामले को लेकर जागरूकता बढ़ी है और सरकार ने भी 2000 में आईटी एक्ट बनाया और 2008 में इसे संशोधित भी किया लेकिन इसके बावजूद साइबर क्राइम को रोकना मुश्किल हो रहा है। दुनिया का सबसे मजबूत कंप्यूटर नेटवर्क भी हैकरों से सुरक्षित नहीं है। दिन-ब-दिन बढ़ती साइबर अपराध कि मामले कि बात करें तो आंकड़े बहुत ही चिंताजनक है। 

गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी के द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2021 में साइबर अपराध के 52,974 मामले दर्ज किए गए जो 2020 (50,035 मामले) से करीब 5 प्रतिशत अधिक और 2019 (44,735 मामले) से करीब 15 प्रतिशत अधिक हैं। वहीं सूत्रों के अनुसार 2023 की पहली तिमाही के दौरान भारत में औसत साप्ताहिक हमलों में 2022 की इसी अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो कि चिंताजनक है।

साथ ही साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज हो रहे साइबर क्राइम की शिकायतें संख्या भी हैरान करने वाली है। अगर इस का आंकलन दिनों के हिसाब से करें तो साइबर अपराध को लेकर प्रतिदिन 1826 शिकायतें दर्ज हो रहीं हैं। 

वैश्विक स्तर पर चाहे विकसित या विकासशील, कोई भी राष्ट्र हो, साइबर क्राइम, सभी के लिए एक बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आ रहा है। हालांकि अपने देश में सरकार के द्वारा लोगों को जागरूक कर इस अपराध और धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए नेशनल हेल्पलाइन नंबर व‌ वेबसाइट भी जारी किया गया है। पीआईबी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम रिपोर्ट करने के लिए तात्कालिक सेवा 155260 शुरू की थी, जिसे अब बदलकर टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 कर दिया गया है और मंत्रालय की साइबर पोर्टल‌ https://cybercrime.gov.in/ पर शिकायत दर्ज कराने के लिए जारी किया गया है। 

साथ ही देश में साइबर अपराध से निपटने और लोगों को इसके खतरों से जागरूक कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ कदम उठाए हैं, इसके मद्देनजर 10 जनवरी 2020 को साइबर अपराध से 'समन्वित और व्यापक' तरीके से निपटने के लिए 'भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)' की स्थापना भी की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (आईटी एक्ट 2000) की धाराएं 43, 43ए, 66, 67, 67ए, 70, 72, 72ए और 74 हैकिंग और साइबर अपराधों से संबंधित है ये सभी धाराएं लागू की गई है। साथ ही साथ कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां भी साझा किया गया है जैसे कि सभी डिवाइसों में मजबूत पासवर्ड लगाएं, वायरस से बचने के लिए एंटी-वायरस और एंटी-स्पाइवेयर का भी इस्तेमाल करें‌, सॉफ्टवेयर को नियमित तौर पर अपडेट करते रहें। सॉफ्टवेयर विश्वनीय साइटों से ही डाउनलोड करें। पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करने से बचें‌ और ऐप्स को कम से कम परमिशन दें साथ ही सोशल मीडिया पर समाज विरोधी संदेश को नजरंदाज करें इत्यादि। यह अपना कर अपने और परिवार को कुछ हद तक सुरक्षित रख सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि यह सब कितना कारगर है और हम सब इससे कितने सुरक्षित हैं? केंद्र व राज्य सरकारों को अतिसंवेदनशील मामले के मद्देनजर व तत्परता के साथ और भी सख्त कदम उठाना होगा नहीं तो सरकार के कई योजनाएं डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया आदि पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा ही साथ ही देश और समाज बेहद ख़तरे में पड़ सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा हाल में ही डीपीडीपी बिल 2023 भी पेश कर दिया गया है। अब यह देखना होगा इन सभी रक्षा यंत्र तंत्र को अपना कर हम, हमारे समाज और देश को कितने सुरक्षित रख सकते हैं।

 

 

चंदन सिंह

नेशनल एडवाइजर एंड नेशनल रिपोर्टर दिल्ली क्राइम प्रेस