धन्वंतरि जयंती शरीर मन और आत्मा का कायाकल्पकरने का महा त्यौहार
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक त्यौहार का अपना विशेष महत्व है हमारे सभी त्यौहार कायाकल्प करने के उद्देश्य से महान ऋषियों ने रखे हैं कुछ त्यौहार उपवास के द्वारा वर्ष में दो बार नवरात्रि के रूप में शरीर मन और आत्मा का शोधनकरते हैं तथा जन्माष्टमी महाशिवरात्रि रामनवमी गंगा दशहरा आदि अनेक व्रत रखने की भारत में प्रचलन है यह विद्या किसी और देश में नहीं है त्यौहार आते हैं शरीर के लिए नए-नए फल व्यंजन तैयार होते हैं तथा मनके लिए हर्ष उल्लास और आत्मा के लिए ईश्वर का पूजा पाठ होता है शरीर के अंदर मन भी है और आत्मा भी निवास करती है व्रत त्यौहार किसी एक विशेष संप्रदाय के लिए नहीं है वरन सभी के लिए है सभी धर्मों के लोगों को सभी त्योहारों का आने का लाभ हर्ष उल्लास होता है दूसरे समुदाय के लोगों को धन का लाभ होता है जिसे उन्हें आत्मिक खुशी और शांति मिलती है तथा घर का कारोबार चलता है दीपावली पूजन के दो दिन पहले भगवान धन्वंतरि जी का पूजन किया जाता है परमपिता परमात्मा इस दिन धनवंतरि के रूप में प्रकट होकर हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा रक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं भगवान धन्वंतरि जी ने प्रकृति के उपाय द्वारा शरीर के स्वास्थ्य की रक्षा एवं शरीर के रोगों को दूर करने का ज्ञान का भंडार हमें दिया है जो आज हमारे रोगों को दूर करने का एक मूल मंत्र है आयुर्वेद भी भी वेदों का एक अभिन्न अंग है आयुर्वेद ऐसा महासागर है जिसके गुणो का वर्णन करना असंभव है पूर्व में मुगल शासको ने तथा अंग्रेजों ने इसको विलुप्त कर दिया था तथा अपनी आधुनिक सभ्यता पद्धति का प्रचार प्रसार किया आज पुनः माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आयुर्वेद के उत्थान के लिए बीडा उठाए हैं परमात्मा धन्वंतरि जी प्रकृति का अमृत का घड़ा लिए हमारे स्वास्थ्य के लिए खड़े हैं हम लोग आसपास की जड़ी बूटियां के द्वारा घर के मसाले के द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा आयुर्वेद के नियमों के द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं अपने-अपने घरों में ऑक्सीजन एवं छोटी-छोटी जड़ी बूटियां के पौधे लगा सकते हैं उनके द्वारा भी हमारे शरीर को लाभ मिल सकता है तथा शरीर को निरोगी रखा जा सकता है आयुर्वेद में ही यंत्र मंत्र तंत्र भूत विद्या पंच महाभूत चिकित्सा तथा कायाकल्प चिकित्सा का आविष्कार आयुर्वेद के द्वारा ही संभव हुआ आयुर्वेद ही प्राकृतिक चिकित्सा है मिट्टी के बर्तन चिराग मूर्तियों का विधान है उन्ही के द्वारा पूजन होता है क्योंकि मिट्टी हंड्रेड परसेंट शुद्ध है तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम है परंतु त्योहार पर हम पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करने लगे हैं यह भारत का दुर्भाग्य भी है पीतल के बर्तन बेचकर लोहे के बर्तन खरीदते हैं अमृत बेचकर जहर खरीदतेहैं घर का धान बेचकर घर में कूड़ा करकट बारूद भरने लगे हैं दूध घी को बेचकर शराब खरीदने का प्रचलन बढ़ गया है लाभ देने वाले अंग वस्त्र छोड़कर अर्धनग्न वस्त्र वस्त्र को धारण करने लगे हैं स्वास्थ्य को छोड़कर स्वाद के वशीभूत हो गए हैं इन्हीं सभी कारणो के कारणघर में रोगबढ गये है अल्पायु द्वेस भावना बढ़ गए हैं
मन शरीर और आत्मा के लिए पुनः भारतीय संस्कृति पर आए भगवान धन्वंतरि जी के पद चिहनो पर चलें वह हमारे लिए अमृत का कलश् लिए खड़े हैं नया जीवन पानेके लिए स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आत्मा की शांति के लिए मन शरीर और राष्ट्र के लिए भारतीय संस्कृति पर आए स्वस्थ रहें हम स्वस्थ होने का वादा करते हैं जय हिंद
डॉक्टर नरेंद्र सिंह
योगी आनंत योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सेवा ट्रस्ट साकेत कॉलोनी सिविल लाइन सेकंड बिजनौर उत्तर प्रदेश