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एक नजर कुछ जरूरी काम पर

 

:-एक नजर कुछ जरूरी काम पर:-

रोड,सड़क,फ्लाईओवर, सरकारी मकान बनते हैं

ट्रैफिक कम होने के लिए, रहने के लिए, चलने के लिए होते हैं

कितनी मेहनत

कितना दिमाग

कितनी व्यवस्था

कितना पसीना

कितनी धूप

कितना समय

कितना कुछ लगता है

तब जाकर

एक सड़क मकान फ्लाईओवर बनता है  

कहने को तो 

बनाने वाला इंजीनियर होता है

मगर क्या अपने पूरे कौशल

दिमाग, बुद्धि के साथ

एक इंजीनियर सड़क मकान फ्लाईओवर बना सकता है?

एक-एक सरिए को ढोने वाला

मिट्टी को खोदने वाला

गारा बनाने वाला

फावड़ा चलाने वाला

धूप में दिनभर काम करने वाला

क्या इनके बिना

इंजीनियर फ्लाईओवर सड़क मकान बना सकता है?

नहीं बना सकता...

न सिर्फ़ दिमाग़ रखने वाला

फ्लाईओवर सड़क मकान बनाता है

और न सिर्फ़ दिन में धूप को सहने वाला

फ्लाईओवर सड़क मकान बनाता है

इसलिए तो

न ये कहने की ज़रूरत है

कि फ्लाईओवर सड़क मकान को इंजीनियर ने बनाया है

और न यह कहने की ज़रूरत है

कि इसमें तो श्रमिकों ने अपना जीवन खपाया है

कुछ भी यहाँ पर ज़िन्दगी में 

जब भी कभी भी बनता है

उसकी नींव से लेकर उसके शिखर तक

हर एक ईंट का योगदान होता है

न इंजीनियर अपने दिमाग़ से

श्रमिकों से बड़ा हो जाता है

और न ही ज़मीनी काम करने वाला श्रमिक

इंजीनियर से किसी मायने में छोटा हो जाता है

जो काम श्रमिक करता है

वह इंजीनियर के वश का नहीं

और जो इंजीनियर करता है

उसे श्रमिक कभी सोच भी तो सकता नहीं

हर कोई अपनी-अपनी जगह

बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है

जिसका अंदाज़ा 

कभी कोई लगा भी नहीं सकता है

न जाने कैसे लोगों की नज़र से

कुछ का चेहरा ओझल हो जाता है

कुछ को श्रेय देकर

कुछ को दरकिनार कर जाता है

श्रमिकों की श्रद्धा, समर्पण को देखकर

दिल मेरा गदगद हो जाता है

इंजीनियर की बुद्धि के सामने भी

जी मेरा नतमस्तक-सा हो जाता है

हर किसी में कितना कुछ है

हर किसी का कितना यहाँ योगदान है

एक-एक आदमी इस पृथ्वी पर

अपने आप में न जाने कितना महान है

मैं तो जब-जब किसी को भी

कहीं पर भी देखता हूँ

हृदय के भीतर झुक जाने के सिवाय

कुछ और नहीं कर सकता हूँ, है कितने महान ये लोग जो अपना समय,वल,वुद्धि,परिक्षम लगातार करते हैं। इन सवके महनत से ही आम जन का उधार होता है।।

लेखक:

     *ठाकुर सिंह एडवोकेट*

*विधिक/कानुनी सलाहकार*