INDIA WEATHER
INDIA WEATHER

कृष्णा उपहार

कृष्णा उपहार

ठोकर ठोकर खात मैं
घूमत चारों और
मिलत ना कोई एक मुझे
पूछ लियो जो मेरा हाल



सबका आपन कर्म ये
भोग रहियो यहां जो सब
नाम हरी जो जप लियो
सुख भोगी फिर हर और

नाटक नाटक सा जगत ये
कुछ नही जो यहां सच
सत्य है तो बस एक है
नाम हो जिनको घनश्याम



नमो नमो नारायणना
जो जपत वो होत श्रेष्ठ
ज्ञान शौर्य उसे मोक्ष मिले
जपत निरंतर जो राधेश्याम

भूल चूक परभु माफ़ किजो
अगर हो गयो जो मोहसे पाप
दे दान मोको असीस तुम्हार
कर बेड़ा मेरो तू पार।।

लेखक रंजीत शर्मा