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ग्लोबलाइजेशन माध्यम से देश को संभालने वाले नेता थे मनमोहन

ग्लोबलाइजेशन के माध्यम से देश को संभालने वाले नेता थे मनमोहन

 

  • 1991 में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने लिए थे कई अहम फैसले
  • देश का राजकोषीय घाटा हो गया था जीडीपी के आस पास, मनमोहन से निकला था आर्थिक संकट से पार 

 

वित्त मंत्रालय का कामकाज देखते हुए मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 के बीच कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके पदभार संभालने से पहले देश बड़ी आर्थिक मंदी झेल रहा था। देश की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर थी। यह वह समय था जब भारतीय अर्थव्यवस्था के पास दो हफ्तों से ज्यादा समय तक आयात करने लायक पैसे नहीं थे। विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 110 करोड़ डॉलर बचे थे। जब देश का राजकोषिय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 फीसदी के आस-पास था, तब सिंह ने उसे सिर्फ एक साल के अंदर 5.9 फीसदी तक ला दिया था। देश में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत 1991 में सिंह ने ही की थी। वे जिस प्रारुप और नीति के साथ आर्थिक सुधार लाए, उन्हें आर्थिक क्रांति का नाम दें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने भारत को दुनिया के बाजार के लिए तो खोला ही, बल्कि निर्यात और आयात के नियमों को भी सरल बनाया। यही नहीं, उन्होंने घाटे में चल रहे पीएसयू के लिए भिन्न नीतियां बनाने का काम किया था।